Lekhika Ranchi

Add To collaction

राष्ट्र कवियत्री ःसुभद्रा कुमारी चौहान की रचनाएँ ःउन्मादिनी


पवित्र ईर्ष्या
[5 ]

और अब पत्र आते हैं तो विमला के मैके के पते से; पत्र की भाषा तो यही प्रकट करती है, जैसे दोनों बहुत दिनों से बहुत घनिष्ट मित्र के रूप में रहे हैं। वे गहरी चिंता में डूब गए, आज पहली बार विमला उन्हें कुछ दोषी-सी जान पड़ी, उसे विनोद से अखिलेश के विषय में सब-कुछ कह देना चाहिए था। अखिलेश के प्रति भी आज विनोद के हृदय में एक प्रकार के ईर्ष्या-जनित भाव जाग्रत हुए। फिर पत्र पढ़ने के बाद वे अंदर न जा सके। पत्र को जेब में रखकर चुपचाप, अपने घर चले आए। विमला ने विनोद की कुछ देर तक प्रतीक्षा की, जब वे अंदर न गए, तब उसने आकर बैठक में देखा; वहाँ भी उन्हें न पाकर वह समझी, कहीं गए होंगे, किंतु जब दो घंटे तक विनोद न लौटे तो वह घबराई और अपनी माँ की कार में बैठकर ससुराल आ गई।

A reserved lover makes a suspicious husband यह कहावत विनोद पर अक्षरशः चरितार्थ होती थी। वे विमला को जितना ही अधिक प्यार करले थे, उतना ही उन्हें उस पर संदेह भी होता था। नौकर-चाकर से भी विमला का बात करना उन्हें अच्छा न लगता था। वे विमला पर अपना एकछत्र अधिकार चाहते थे। वे तो कदाचित्‌ यहाँ तक चाहते थे कि विमला को किसी प्रकार, बहुत ही छोटे आकार में परिवर्तित करक अपने पाकेट में रख लें, जिसमें वही केवल विमला को देख सके, वहाँ तक और किसी की पहुँच ही न हो सके।
विमला घर आई तब वे अपनी खाट पर लेटे थे। उन्होंने जान-बूझकर अखिलेश की एक फोटो निकालकर अपनी चारपाई पर रख ली थी। विमला ने पहुँचकर पति का चेहरा देखा, देखते ही पहिचान लिया कि इन्हें किसी प्रकार का मानसिक कलेश हो रहा है।
वह उनके पास पहुँचकर खाट पर बैठ गई, बैठते ही उसकी दृष्टि अखिलेश की फोटो पर पड़ी। कुछ हर्ष, कुछ कौतूहल से पति की उदासी का कारण पूछना तो भूल गई, अखिलेश का चित्र उठाकर फौरन पूछ बैठी-यह फोटो तो अखिलेश का है, यहाँ कैसे आया? तुम इन्हें जानते हो?
'जानता हूँ' कहके विनोद ने करवट फेर ली। विमला की तरफ पीठ और दीवार की तरफ मुँह करके वे अपनी वेदना को चुपचाप पीने लगे।
'तुम इन्हें जानते हो तो अभी तक मुझसे कहा क्‍यों नहीं?' विमला ने फिर पूछा।
विनोद ने कोई उत्तर न दिया।
इसके बाद विमला को फिर कुछ पूछने का साहस न हुआ। वह वहीं एक तरफ विनोद के पैरों को सहलाने लगी। विनोद ने अपने पैरों को जोर से खींच लिया। विमला समझ गई कि नाराजगी उसी पर है। वह विनोद के स्वभाव को इतने दिनों से बहुत अच्छी तरह जानती थी। विनोद, जो उस पर पग-पग पर संदेह करते थे, उससे भी वह छिपा न था। किंतु विनोद का हृदय कितना सच्चा, कितना गंभीर, और कितना उदार है, यह भी वह भली-भाँति जानती थी।
पति का संदेह मिटाने के लिए वह नम्र स्वर में बोली, 'देखो किसी तरह का संदेह न करना। अखिलेश मेरा भाई है, समझे ?'
'सब समझ लिया,' विनोद ने रुखाई से उत्तर दिया।
विमला ने फिर अपने उसी नम्र स्वर से पूछा, 'और तुम वहाँ से चुपचाप मुझे छोड़कर चले क्‍यों आए?'

'चला आया मेरी खुशी! तुम्हें अपने साथ नहीं लाना चाहता था; फिर भी तुम क्यों चली आईं? दो-तीन दिन माँ के साथ रह लेती', विनोद ने तीव्र स्वर में कहा । कहने को तो विनोद यह बात कह गए, किंतु इस दो ही घंटे में उनके हृदय की जो हालत हुई थी, यह वही जानते थे। कई बार स्वयं जाने के लिए उठे, फिर आत्माभिमान के कारण न जा सके। नौकर को ताँगा लेकर भेज ही रहे थे कि विमला आ पहुँची।
विमला के आने से पहिले वह उसके लिए बहुत विकल थे; किंतु उसके आते ही वे तन गए। विमला यह समझती थी, इसलिए उसे कुछ हँसी आ रही थी, परंतु फिर भी अपनी हँसी को दबाती हुई बोली, 'तो तुम मुझसे कह के आते कि तुम यहाँ दो-तीन दिन रह सकती हो, तो मैं रह जाती। अम्मा तो रोक रही थीं। कहो तो अब चली जाऊँ।'
'हाँ-हाँ चली जाना,' विनोद ने मुँह से ही कहा। लेकिन हृदय कहता था कि ख़बरदार! अगर यहाँ से हिली भी तो ठीक न होगा।
विमला बोली, 'अच्छा बाबू जी कचहरी से लौटेंगे तो उन्हीं की कार में चली जाऊँगी।'

किंतु बाबू जी के कचहरी से लौटने के पहिले ही दोनों का मेल हो गया। विमला को फिर माँ के घर जाने की आवश्यकता न पड़ी। इसके बाद विनोद को विमला ने अपने और अखिलेश के संबंध में सब-कुछ बतलाया। उसी दिन विमला को यह भी मालूम हुआ कि अखिलेश विनोद का सहपाठी होने के साथ-ही-साथ अभिन्‍न हृदय मित्र भी है। यह जानकर भी कि अखिलेश विमला का राखीबँध भाई है, न जाने क्यों विनोद का अखिलेश के प्रति विमला का स्नेह भाव सहन न होता था। साथ-ही-साथ वह अखिलेश का अपमान भी न सह सकते थे, क्योंकि वह अखिलेश को भी बहुत प्यार करते थे।
आषाढ़ का महीना था। और इसी महीने में अखिलेश विदेश से लौटकर आने वाले थे। एक दिन विमला की माँ ने विमला से कहला भेजा कि आज शाम की ट्रेन से अखिलेश लौटेंगे, स्टेशन चलने के लिए तैयार रहना, मैं कार भेज दूँगी।
विनोद कहीं बाहर गए थे, लौटने के बाद जलपान करके बैठे तो विमला ने उनसे कहा, आज अखिल भैया आएँगे। स्टेशन चलने के लिए तैयार रहना, अम्मा कार भेज देंगी।

   1
0 Comments